भारत के रोजगार परिदृश्य का विश्लेषण: हाल के प्रयासों और मौजूदा चुनौतियों पर एक नज़र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के स्वतंत्रता दिवस भाषण में “प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना” सहित कई नई पहलों की घोषणा की, जिसका लक्ष्य अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियाँ पैदा करना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य देश की रोजगार चुनौतियों को दूर करने के सरकार के प्रयासों का एक प्रमुख हिस्सा है।
हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों को दर्शाती है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़े लगातार रोजगार के आंकड़ों में गिरावट को दर्शाते हैं, एक ऐसा चलन जिसे कोविड-19 महामारी ने और बढ़ा दिया है। जबकि चीन, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कई अन्य देशों ने रिकवरी के संकेत दिखाए हैं, भारत में बेरोजगारी की दर एक बड़ी चिंता बनी हुई है।

यह चलन कई लोगों के दैनिक जीवन में दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, आईटी क्षेत्र में दोस्त और सहकर्मी तेजी से बिना प्रोजेक्ट के “बेंच” पर बैठे हैं, और उन्हें नौकरी से निकाले जाने का डर है। टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियां, जिन्हें कभी नौकरी की सुरक्षा का प्रतीक माना जाता था, ने हाल ही में अपने 2% कर्मचारियों को हटाने की योजना की घोषणा की है, जो उद्योग के भीतर एक व्यापक समस्या का संकेत है। इसी तरह की चुनौतियाँ कई अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों को भी प्रभावित कर रही हैं।
पारंपरिक नौकरी के सीमित अवसरों के जवाब में, कई युवा स्वरोजगार की ओर रुख कर रहे हैं, खासकर यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर कंटेंट क्रिएटर के रूप में। हालांकि यह रास्ता एक विकल्प प्रदान करता है, लेकिन अपने कंटेंट से पैसा कमाने और वित्तीय स्थिरता खोजने का संघर्ष व्यापक बेरोजगारी के अंतर्निहित मुद्दे को उजागर करता है।
नई “प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना” में इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कई प्रमुख घटक शामिल हैं:
भाग-ए: पहली बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए सहायता
- प्रोत्साहन: पहली बार EPFO के साथ पंजीकृत होने वाले पात्र कर्मचारियों को ₹15,000 तक का एकमुश्त प्रोत्साहन मिल सकता है।
- भुगतान संरचना: यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी: पहली किस्त एक ही नियोक्ता के साथ छह महीने की लगातार सेवा के बाद, और दूसरी किस्त 12 महीने पूरे होने के बाद, बशर्ते कर्मचारी एक वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा कर ले।
- पात्रता: कर्मचारी का मासिक वेतन ₹1 लाख तक होना चाहिए। प्रोत्साहन उनके आधार-लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से दिया जाएगा।
भाग-बी: नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन
- प्रोत्साहन: जो नियोक्ता नई नौकरियाँ पैदा करते हैं और अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखते हैं, उन्हें प्रत्येक नए पद के लिए प्रति माह ₹3,000 तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- अवधि: यह प्रोत्साहन दो साल तक उपलब्ध है, “मेक इन इंडिया” पहल का समर्थन करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों के लिए चार साल तक बढ़ाया जा सकता है।
- पात्रता: पात्र होने के लिए, 50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम दो अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखना होगा, जबकि 50 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम पांच को काम पर रखना होगा, और उन्हें कम से कम छह महीने तक लगातार रखना होगा।
इन कार्यक्रमों की सफलता राष्ट्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगी। उम्मीद है कि ये पहलें वादे के अनुसार नौकरियाँ पैदा करने और भारत की रोजगार चुनौतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में मदद करेंगी।