वीर: न्याय, भ्र्ष्टाचार और पतन की २५ साल की बदला लेने वाली कहानी
वीर: न्याय, भ्र्ष्टाचार और पतन की २५ साल की बदला लेने वाली कहानी : यह कहानी शुरू होती है 25 साल पहले, एक शहर के पुलिया पर। एक लोकल बस खचाखच भरी हुई जा रही थी। अचानक, पुलिया ढह गया और बस सीधा नीचे गिर गई। उस भयानक हादसे में, सभी यात्री मारे गए। कई परिवार, बच्चे, बूढ़े, पति-पत्नी… सब खत्म हो गए। यह हादसा सरकारी फाइलों में बस एक नंबर बनकर रह गया और इसे दबा दिया गया।
25 साल बीत गए हैं। आज वीर नाम का एक नौजवान अपने पापा के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है। उसने इंजीनियरिंग की है और एक अच्छी नौकरी कर रहा है। लेकिन, उसका एक दूसरा चेहरा भी है… एक ऐसा चेहरा जो अंधेरे में छिपा है।
वीर का पहला शिकार था रघु, एक स्टील कंपनी का मालिक। एक रात, वीर ने रघु को उसके ही केबिन में बेहोशी का इंजेक्शन दिया और उसे एक बोरे में बंद कर दिया। फिर, वो उसे स्टील प्लांट के स्क्रैप यार्ड में ले गया। स्क्रैप के साथ उस बोरे को भी पिघलने वाली भट्टी में डाल दिया गया, और रघु की लाश का कोई निशान तक नहीं मिला।
पुलिस आई, छानबीन की। गार्ड्स से लेकर कर्मचारियों तक सबसे पूछताछ की। कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी में हर दिन कोई नया मज़दूर रोज़ी के हिसाब से आता है, इसलिए ज़्यादा वेरिफिकेशन नहीं हो पाता। पुलिस ने स्टील मेल्टिंग के कर्मचारियों से पूछा कि क्या उन्होंने बोरे में चेक नहीं किया कि क्या है? कर्मचारियों ने कहा कि बोरे में स्टील स्क्रैप आता है, इसलिए वे उसे वैसे का वैसा ही भट्टी में गलाने के लिए डाल देते हैं। Police ने CCTV camera में देखा, उन्हें मास्क पहने हुए एक शख्स दिखाई दिया, पर उसकी पहचान हो नही पायी. पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला और वे वापस चले गए। यह कत्ल पूरी कंपनी में हड़कंप मचा देता है, लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिलता।
खूनी खेल जारी है…
वीर का अगला निशाना था योगेश, एक सीमेंट प्लांट का मालिक। योगेश अपने परिवार के साथ फार्महाउस पर था। वीर वहाँ पहुंचा, उसने पूरे परिवार को बेहोश किया, और योगेश को उसी तरह बोरे में डालकर ले गया।
वीर एक कंक्रीट मिक्सर ड्राइवर बनकर काम वाली जगह पर पहुँचता है। उसने योगेश को उसी मिक्सर में डाला और कंक्रीट के साथ उसे भी सड़क में मिला दिया। योगेश की भी लाश नहीं मिली। police ने farmhouse पर investigation की, उन्हें फिरसे mask पहना हुआ शख्स दिखा. पुलिस समझ गई कि ये दोनों कत्ल एक ही शख्स ने किए हैं।
कुछ ही समय बाद, वीर का अगला शिकार था किशोर, एक सरकारी ठेकेदार। किशोर एक नया पुलिस स्टेशन बनवा रहा था। वीर ने उसे भी मार डाला और उसी निर्माणाधीन पुलिस स्टेशन के नीचे गाड़ दिया।
इसके बाद, वीर ने श्रीकांत, एक म्युनिसिपल कमिश्नर, को निशाना बनाया। श्रीकांत को तेज गाड़ी चलाने का शौक था। वीर ने एक गड्ढे के सामने से डायवर्जन बोर्ड हटा दिया। श्रीकांत ने अंधेरी रात में तेज गाड़ी चलाई और बिना बोर्ड देखे सीधा गड्ढे में गिरकर मर गया।
पुलिस के पास अब एक ही सवाल था – ये सभी कत्ल एक-दूसरे से जुड़े क्यों हैं? तब एंट्री होती है इंस्पेक्टर कुमार की। कुमार एक ईमानदार और तेज दिमाग वाला अफसर है। उसने सारे पुराने केस की फाइलें खंगालीं और उसे एक कनेक्शन मिला – 25 साल पुराना बस हादसा!
उसे पता चला कि रघु, किशोर, योगेश और श्रीकांत, ये सभी उस बस हादसे के जिम्मेदार थे। रघु ने खराब क्वालिटी का स्टील दिया था, योगेश ने घटिया सीमेंट, किशोर उस पुल का ठेकेदार था और श्रीकांत ने इन सब चीजों को मंजूरी दी थी। इन सभी ने मिलकर उस केस को दबा दिया था। लेकिन जब तक इंस्पेक्टर कुमार इन सबके बारे में पता लगाता, तब तक वीर उन सभी लोगों को खत्म कर चुका था जो उस हादसे के लिए जिम्मेदार थे, जिसमें डिज़ाइन इंजीनियर, सप्लायर और बाकी सभी लोग शामिल थे।
अब आप सोच रहे होंगे कि वीर कौन है? 25 साल पहले जब वो हादसा हुआ, तब तो वीर था भी नहीं। उस हादसे में एक गर्भवती औरत भी मारी गई थी, लेकिन उसका बच्चा, वीर, जिंदा बच गया था। वीर को यह सब उसके पापा ने बताया था। उस बस में उसकी माँ, नानी, नाना और मावसी थे, जो सब मारे गए थे। इसी हादसे का बदला लेने के लिए एक साधारण सा लड़का एक खतरनाक कातिल बन गया।
वीर ने उस हादसे से जुड़े हर शख्स को खत्म कर दिया। लेकिन क्या वीर को पकड़ा जाना चाहिए था?
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Story by – filmikaarbhai
Copyright – filmikaarbhai
Disclaimer: “This story is a work of fiction. Characters, entities, and events are imagined or depicted for narrative purposes; any resemblance to real persons or events is coincidental. The views and actions portrayed belong to the characters within the story and do not reflect or endorse real-world conduct.”